कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

मेघा की आंखों के आगे उस का अतीत तैरने लगा...

कितना हंसताखेलता खुशहाल परिवार था उस का. बहुत गुमान था उसे अपनी कंप्लीट लाइफ पर. जिसे प्यार किया, उस से शादी कर ली. भरापूरा परिवार मिला, गोद में एक नन्ही परी सी बेटी आ गई. घर में धनसंपत्ति की कोई कमी नहीं थी. कंप्लीट हैप्पी फैमिली थी उस की. पर अचानक वक्त ने ऐसी करवट ली कि पल भर में सब कुछ बदल कर रख दिया.

मिहिर एक सड़क हादसे का शिकार हो गए और वह अधूरी सी रह गई. मिहिर का जाना उस के जीवन में अंधेरा कर गया था. उस की आंखों के आंसू सूखते ही नहीं थे. वह ऐसा वक्त था कि साससुर भी उसे हौसला नहीं दे सकते थे, क्योंकि जवान बेटे के गम में वे खुद ही टूट से गए थे. दोनों बीमार भी रहने लगे थे. मेघा को विधवा के रूप में देख कर और भी दर्द बढ़ जाता. पर मेघा को पलक की खातिर मजबूत बनना पड़ा. काफी कोशिश कर के उस ने एक प्राइवेट स्कूल में टीचर की जौब ढूंढ़ ली. 8-9 माह यों ही गुजर गए. वह जी रही थी पर बिना किसी उमंग के. घर वालों ने मेघा की दूसरी शादी करने के बारे में भी सोचा पर मेघा ने साफ इनकार कर दिया.

 

इसी बीच मिहिर का छोटा भाई, प्रकाश, जो होस्टल में रह कर पढ़ रहा था, पढ़ाई खत्म कर घर वापस आ गया. थोड़ी कोशिश से उस की अच्छी नौकरी भी लग गई. वह काफी चुलबुला और खुले दिमाग का था. आते ही वह पूरे घर को संभालने और मिहिर की कमी दूर करने का प्रयास करने लगा. उम्र में छोटा होने के बावजूद वह दिमाग से बेहद सम?ादार और सुलझ हुआइंसान था. काफी हद तक मिहिर जैसा था. शायद यही वजह थी कि मेघा उस की तरफ खिंचाव महसूस करती.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...