रोजसुबह उठ कर अपने लिए चायनाश्ता बनाबना कर ऊब चुका था देव. मन ही मन सोचता कि काश, अनु होती, तो वह बैड टी का मजा ले रहा होता. घड़ी पर नजर डाली, तो 9 बज चुके थे. झटपट उठ कर फ्रैश होने के बाद उस ने एक चूल्हे पर चाय रखी और दूसरे पर ब्रैड सेंकने लगा. जब से अनु मायके गई थी देव का रोज सुबह का यही नाश्ता होता था. दोपहर का खाना वह औफिस की कैंटीन में खा लेता और रात के खाने का कुछ पता नहीं होता. कभी बाहर से मंगवा लेता, तो कभी खुद कुछ बना लेता. अनु के बिना 15 दिन में ही उस की हालत खराब हो गई है, तो आगे और दिन कैसे गुजरेंगे, सोच कर ही वह सिहर उठा. तभी अनु का फोन आ गया.
‘‘गुड मौर्निंग जानू,’’ अनु पति देव को प्यार से जानू बुलाती थी, ‘‘कैसे हो? मन लग रहा है मेरे बिना?’’ हमेशा की तरह एक किस के साथ अनु ने पूछा.
‘‘अच्छा हूं पर बहुत ज्यादा नहीं. तुम बताओ क्या कर रही हो?’’ बात करते हुए जब ब्रैड जलने की बदबू आई तो अचानक देव चीख पड़ा.
‘‘क्या हुआ देव?’’ घबरा कर अनु ने पूछा.
‘‘हाथ जल गया यार,’’ देव हाथ झटकते हुए बोला, ‘‘बहुत हंसी आ रही है न? हंस लो हंस लो, अभी तुम्हारे हंसनेखेलने के दिन हैं बेबी...अभी तो तुम वहां महारानी की तरह रह रही होगी. मांभाभियां तरहतरह के व्यंजन बना कर खिला रही होंगी. और मैं यहां खुद हाथ जला रहा हूं.’’
‘‘अच्छा, और पापा कौन बनेगा? पता भी है तुम्हें कि मां बनने में कितनी तकलीफ सहनी पड़ती है औरतों को? देखा है मैं ने भाभी को, जब चिंटू पैदा होने वाला था तब उन्हें कितनी तकलीफ हुई थी. मैं तो सोच कर ही डरी जा रही हूं कि कहीं मुझे भी...’’