आज वह आया भी काम छोड़ कर अपने घर भाग गई कि यहां जरूर कोई साया है, जो इस घर को बीमार कर जाता है. उस ने उसे कितना सम झाया कि ऐसी कोई बात नहीं और उसे उस छोटे बच्चे का वास्ता भी दिया कि वह अकेले कैसे रहेगा? मगर, वह नहीं मानी और चली गई. दोपहर में वही उसे खाना पहुंचा गई और तमाम सावधानियां बरतने की सलाह दे डाली. मगर 6 साल का बच्चा आखिर क्या सम झा होगा. आखिर वह मुन्ना से सालभर छोटा ही है.
मगर, मुन्ने का सवाल अपनी जगह था. कुछ सोचते हुए वह बोली, ‘‘अरे, ऐसा कुछ नहीं है. उस के मम्मीपापा दोनों ही बाहर नौकरी करने वाले ठहरे. शुरू से उस की अकेले रहने की आदत है. तुम्हारी तरह डरपोक थोड़े ही है.’’
‘‘जब किसी के मम्मीपापा नहीं होंगे, तो कोई भी डरेगा मम्मी,’’ वह बोल रहा था, ‘‘आया भी चली गई. अब वह क्या करेगा?’’
‘‘अब ज्यादा सवालजवाब मत करो. मैं उसे खानानाश्ता दे दूंगी. और क्या कर सकती हूं. बहुत हुआ तो उस से फोन पर बात कर लेना.’’
‘‘उसे उस की मम्मी हौर्लिक्स देती थीं. और उसे कौर्नफ्लैक्स बहुत पसंद है.’’
‘‘ठीक है, वह भी उसे दे दूंगी. मगर अभी सवाल पूछपूछ कर मु झे तंग मत करो. और श्वेता को देखो कि वह क्या कर रही है.’’
‘‘वह अपने खिलौनों की बास्केट खोले पापा के पास बैठी खेल रही है.’’
‘‘ठीक है, तो तुम भी वहीं जाओ और उस के साथ खेलो. मु झे किचन में बहुत काम है. कामवाली नहीं आ रही है.’’
‘‘मगर, मु झे खेलने का मन नहीं करता. और पापा टीवी खोलने नहीं देते.’’