जिंदगी के लमहे किस पल क्या रंग लेंगे, इस की किसी को खबर नहीं होती. चंद घंटों पहले तक कौस्तुभ की जिंदगी कितनी सुहानी थी. पर इस समय तो हर तरफ सिवा अंधेरे के कुछ भी नहीं था. प्रतिभाशाली, आकर्षक और शालीन नौजवान कौस्तुभ को जो देखता था, तारीफ किए बिना नहीं रह पाता था. एम. एससी. कैमिस्ट्री में गोल्ड मैडलिस्ट कौस्तुभ पी. एच.डी करने के साथ ही आई.ए.एस. की तैयारी भी कर रहा था. भविष्य के ऊंचे सपने थे उस के, मगर एक हादसे ने सब कुछ बदल कर रख दिया. आज सुबह की ही तो बात थी कितना खुश था वह. 9 बजे से पहले ही लैब पहुंच गया था. गौतम सर सामने खड़े थे. उन्हीं के अंडर में वह पीएच.डी. कर रहा था. अभिवादन करते हुए उस ने कहा, ‘‘सर, आज मुझे जल्दी निकलना होगा. सोच रहा हूं, अपने प्रैक्टिकल्स पहले निबटा लूं.’’
‘‘जरूर कौस्तुभ, मैं क्लास लेने जा रहा हूं पर तुम अपना काम कर लो. मेरी सहायता की तो यों भी तुम्हें कोई जरूरत नहीं पड़ती. लेकिन मैं यह जानना जरूर चाहूंगा कि जा कहां रहे हो, कोई खास प्लान?’’ प्रोफैसर गौतम उम्र में ज्यादा बड़े नहीं थे. विद्यार्थियों के साथ दोस्तों सा व्यवहार करते थे और उन्हें पता था कि आज कौस्तुभ अपनी गर्लफ्रैंड नैना को ले कर घूमने जाने वाला है, जहां वह उसे शादी के लिए प्रपोज भी करेगा. कौस्तुभ की मुसकराहट में प्रोफैसर गौतम के सवाल का जवाब छिपा था. उन के जाते ही कौस्तुभ ने नैना को फोन लगाया, ‘‘माई डियर नैना, तैयार हो न? आज एक खास बात करनी है तुम से...’’