उस की मां भी उस से मिलने के लिए आई थीं. उन्होंने उसे समझाया कि इस तरह से जिंदगी थोड़े ही कटेगी. अपनी मासूम बच्चियों में मन लगाओ, अपने भविष्य के बारे में सोचो. अभी तुम्हारी उम्र ही क्या हुई है, मात्र 32 वर्ष. आजकल तो इतनी उम्र में लड़कियां शादी कर रही हैं. मां उसे अपने साथ कुछ दिनों के लिए ले जाना चाहती थीं लेकिन वह तो किसी के सामने ही नहीं जाना चाहती थी. वे रोती हुई लौट गई थीं.
आखिर कब तक वह अपने कमरे की छतों पर नजर गड़ाए शून्य में निहारती रहती. वह अपने कमरे से बाहर निकल कर ड्राइंगरूम में आई तो वहां का नया फर्नीचर और रेनोवेशन देख कर आश्चर्य से भर उठी. घर में इतना बड़ा हादसा हो चुका है, घर का मालिक इस दुनिया से विदा हो गया है और ऐसी हालत में ड्रांइगरूम का सौंदर्यीकरण... वह निशीथ से पूछ बैठी थी- “इस समय रिनोवेशन?” उस के पूछते ही निशीथ का चेहरा सफेद पड़ गया और वह सकपका कर बोला, “भाभी, यह सब तो भैया की ही प्लानिंग थी और उन्होंने ही सब और्डर कर रखा था. मैं ने सोचा कि उन की योजना का सम्मान किया जाना चाहिए.“ और वह उस से नजरें चुरा कर तेजी से अपने कमरे की ओर चला गया था.
निभा की आंखें छलछला उठी थीं. निश्चल ने तो इस बारे में उस से कभी कुछ नहीं बताया. अब उसे अपना घर ही बदला बदला सा दिखाई पड़ रहा था. सबकुछ अनजाना, अनपहचाना सा लग रहा था. बस, बदला नहीं था तो उस का अपना कमरा.