ऋतु उस का धन्यवाद कर के चली गई. उस के बाद फिर उस से कभी मुलाकात नहीं हुई. लौटने पर पता चला कि प्रभव के साथ पहले तो अभिनव व ऋतु और फिर मांबाप भी अमेरिका चले गए हैं.
शेखर ने सोचा कि प्रभव की भावी गर्भवती बहू को यहां बुला कर शादी करवाने के बजाय सब ने वहीं जा कर शादी करवाना बेहतर समझा होगा.
‘‘घर आ गया शेखर,’’ लतिका की आवाज पर उस का ध्यान टूटा. गाड़ी से उतरते ही राशि आ कर उस से लिपट गई.
‘‘पापा, आप के लिए टब में क्लोन डाल कर गरम पानी भर दिया है ताकि जल्दी से आप की थकान उतर जाए,’’ राशि ने कहा.
‘‘पापा की थकान तो आप को देखते ही उतर जाती है,’’ शेखर हंसा.
तभी बाहर गाड़ी रुकने की आवाज आई.
‘‘लगता है प्रणव आ गया,’’ कह कर राशि बाहर भागी. शेखर भी उस के पीछेपीछे गया.
प्रणव को देख कर उसे लगा जैसे कालेज के दिनों के अभिनव या प्रभव में से कोई उस के सामने खड़ा हो. शेखर उस से बड़ी खुशी से मिला और सब का हालचाल पूछा.
‘‘प्रभव अंकल और रेशमा आंटी तो अलबामा, अमेरिका में हैं और मम्मीपापा कनाडा के वैनकूवर में.’’
‘‘कब से?’’
‘‘मेरे जन्म के कुछ ही महीनों बाद चले गए थे. मैं ने तो होश ही वहीं संभाला,’’ प्रणव ने बताया.
‘ऋतु समझदार है उस ने बच्चे को असली मांबाप से दूर रखना ही बेहतर समझा होगा,’ शेखर ने सोचा.
‘‘तुम्हारे मम्मीपापा कब तक आएंगे?’’
‘‘आप लोगों के बारे में सुनते ही मम्मी तो यहां आने को छटपटाने लगी हैं, लेकिन पापा को तो बिजनैस और घर वगैरह बेचने को समय चाहिए, इसलिए मम्मी अगले हफ्ते अकेली ही आ रही हैं.’’