रिया और नैना एक इन्फ्रास्ट्रक्चर कंपनी में साथ काम करती थीं. दोनों ने जौइनिंग एकसाथ की थी. दोनों सिविल इंजीनियर थीं. रिया के मामा और नैना का नेटिव प्लेस एक था. इन समानताओं ने दोनों को बहुत जल्द दोस्त बना दिया. रिया सिविल इंजीनियरिंग ग्रैजुएशन में टौपर थी. उस के सपने ऊंचे थे. उसे लंबेलंबे पुल और ऊंची इमारतें बनानी थीं, कुछ ऐसा जो पहले न बना हो, सब से ऊंचा, सब से मुश्किल. वह आंखें बंद कर के, हाथ फैला कर जब अपने सपने सुनाने लगती तो सुनने वाला एक अलग ही स्वप्नलोक में पहुंच जाता और नैना उस की पीठ पर हाथ फेरते हुए उसे बांहों में भर लेती और कहती, ‘‘बैस्ट औफ लक, रिया. तुम्हारे सारे सपने पूरे हों,’’
नैना औसत छात्रा रही थी. उस के पेरैंट्स जल्द उस की शादी कर देना चाहते थे लेकिन उस ने अपनी जिद से बैंक से लोन ले कर अपनी पढ़ाई पूरी की क्योंकि वह अपनी शर्तों के अनुसार जीना चाहती थी, अपने पैरों पर खड़े हो कर, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के पश्चात शादी कर के अपने पति और बच्चों के साथ शांतिपूर्ण जिंदगी बिताना चाहती थी.
रिया का स्वभाव मर्दाना था, बातबात में टैंपर होना, सभी की बुराई करना, कलीग और बौस पर हावी होने की कोशिश करना आदिआदि. दूसरी तरफ नैना बहुत ही घरेलू टाइप की महिला थी, तरहतरह की रैसिपी उसे आती थीं, दागधब्बे कैसे हटाए जाते हैं, घर को मेंटेन कैसे किया जाता है, फैशन में क्या चल रहा है उसे सब पता होता. देख कर कोई कह नहीं सकता था कि नैना सिविल इंजीनियर है और बहुराष्ट्रीय कंपनी में इतने बड़े पद पर कार्यरत है.