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आजजूनी का पार्लर में अपौइंटमैंट था. जब जूनी की नईनई शादी हुई थी तो उसे बहुत मजा आता था पर अब उसे ये सब सजा सा लगता है. कारण है कि पहले उस का मन करता था पर अब उस का शरीर और मन दोनों ही शिथिल हो गए हैं.

जूनी 27 साल की है. बड़ीबड़ी आंखें, हलकी सी उठी हुई नाक, हलके गुलाबी होंठ, कंधे तक बिखरे गहरे काले बाल जो स्टैप, कटिंग के कारण बिखरे हुए लगते थे. गेहूं की लुनाई लिए रंग, सुडौल बदन और मध्यम कद. कुल मिला कर जूनी का व्यक्तित्व सब को लुभावना लगता था.

इसी ने तो पारस को बांध लिया था. जूनी एक मध्यवर्गीय परिवार की मंझली बेटी थी. बड़की और छोटी बहनें अपने खुलते रंग के कारण सब का ध्यान आकर्षित करती थीं, वहीं जूनी उन के रंग के कारण दबीदबी और थकीथकी लगती थी पर न जाने उस की आंखों की चमक में ऐसा क्या था कि पारस उस से ऐसा बंधा कि उस के मन को कोई अप्सरा भी न भाई.

पारस के मातापिता खुश थे या दुखी जूनी आज तक शादी के 5 वर्ष बाद भी समझ नहीं पाई. पारस भी उस से खुश हैं या नहीं वह इस बात को ले कर भी दुविधा में थी.

पार्लर वाली की सधी उंगलियां उस के चेहरे पर चल रही थीं और उस का मन अतीत की गलियों में भटक रहा था... उस का पारस के साथ विवाह एक सपना ही तो था. उस की दोनों बहनें, सारी सहेलियां उस से कितनी ईर्ष्या कर रही थीं उस के गहने और कपड़े देख कर. मयूरपंखी रंग का लहंगा था उस का, उस पर दबके का काम हो रखा था, लाल शिफौन की चुनर पर सोने के तार से सुनहरा काम हुआ था.

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