रातके 2 बज रहे थे. शेखर के घर के आगे कुछ लोग इकट्ठा थे. पुलिस की 2 जीपें भी खड़ी थीं. 6-7 पुलिस वाले शेखर व उस की पत्नी स्मिता से घर के अंदर बातचीत कर रहे थे.
करीब 1 घंटा पहले उन की रसोई की दीवार तोड़ कर चोर घर में घुस आया था. स्टडीरूम से शेखर का मोबाइल, पर्स व घड़ी उठाने के बाद वह बैडरूम में आया जहां स्मिता अकेली सो रही थी. चोर ने जैसे ही उस के गले से सोने की चेन खींची वह जाग गई और जोरजोर से चिल्लाने लगी.
स्मिता का शोर सुन कर शेखर, जो उस रात मैच देखतेदेखते ड्राइंगरूम में ही सो गया था, बदहवास सा दौड़ादौड़ा आया और फिर तुरंत बैडरूम की लाइट जलाई. देखा, स्मिता डर के मारे कांप रही थी.
‘‘क्या हुआ?’’ शेखर ने पूछा तो उस के स्वर में घबराहट थी.
‘‘हम...हम... हमारे घर में कोई घुस आया है,’’ बड़ी मुश्किल से स्मिता के मुंह से निकला.
‘‘मतलब चोर?’’ शेखर घबराते हुए बोला.
‘‘हां शायद,’’ कह स्मिता ने अपने गले पर हाथ फेरा.
‘‘हाय, मेरी चेन ले गया चोर,’’ कह कर स्मिता रोने लगी.
‘‘बिस्तर झड़ कर देखो,’’ शेखर बोला.
‘‘यहां कहीं नहीं है,’’ स्मिता ने बिस्तर झड़ते हुए कहा.
‘‘मैं जा कर अशोकजी को जगाऊं क्या?’’ शेखर ने सकुचाते हुए पूछा.
‘‘हांहां, जल्दी जाओ,’’ कह कर स्मिता भी बाहर आ गई.
शेखर सामने अशोकजी को जगाने गया तो स्मिता भी बराबर वाले राजेंद्र अंकल को बुलाने दौड़ी.
दोनों घरों की लाइटें जलीं और सारे सदस्य बाहर आ गए. फिर सब
लोग स्मिता के घर पहुंचे व सारी घटना को सुना.
‘‘चलो, किचन की तरफ चलते हैं, वहीं से तो आया था चोर,’’ राजेंद्र अंकल बोले तो सभी उन के पीछे हो लिए