उस रात अंजु और मनोज बुरी तरह झगड़े. मनोज अपने दोस्त के घर से पी कर आया था और अंजु ने अपनी सास के साथ झड़प हो जाने के बाद कुछ देर पहले ही तय किया था कि वह अपनी ससुराल में किसी से डरेगीदबेगी नहीं. इन दोनों कारणों से उन के बीच झगड़ा बढ़ता ही चला गया.
‘‘तुम्हें इस घर में रहना है, तो काम में मां का पूरा हाथ बंटाओ. तुम मटरगस्ती करती फिरो और मां रसोई में घुसी रहे, यह मैं बिलकुल बरदाश्त नहीं करूंगा,’’ मनोज की गुस्से से कांपती आवाज पूरे घर में गूंज उठी.
‘‘आज औफिस में ज्यादा काम था, इसलिए देर से आई थी. फिर भी मैं ने उन के साथ थोड़ा सा काम कराया... अपनी मां की हर बात सच मानोगे, तो हमारी रोज लड़ाई होगी,’’ अंजु भी जोर से चिल्लाई.
‘‘उन की रोज की शिकायत है कि जिस दिन तुम वक्त से घर आ जाती हो, उस दिन भी तुम उन के साथ कोई काम नहीं कराती हो.’’
‘‘यह झठ बात है.’’
‘‘झठी तुम हो, मेरी मां नहीं.’’
‘‘नहीं, झठी तुम्हारी मां है.’’
उस रात मनोज ने अपनी दूसरी पत्नी पर पहली बार हाथ उठा दिया. उन की शादी को अभी 2 महीने ही बीते थे.
‘‘तुम्हारी मुझ पर हाथ उठाने की जुर्रत कैसे हुई? अब दोबारा हाथ उठा कर देखो... मैं अभी पुलिस बुला लूंगी.’’
उस की चिल्ला कर दी गई इस धमकी को सुन कर राजनाथ और आरती अपने बेटेबहू को शांत कराने के लिए उन के कमरे में आए.
गुस्से से कांप रही अंजु ने अपनी सास को जलीकटी बातें सुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. जवाब में आरती कुछ देर ही चुप रही. फिर वह भी ईंट का जवाब पत्थर से देते हुए उस से भिड़ गई.