संगीता लंच बना कर रसोई से निकली ही थी कि अवधेश हाथ में पानी का गिलास ले कर उसके पास सोफे पर आ गया. संगीता ने मुस्कुरा कर गिलास थामा और गटागट सारा पानी पी गयी. थोड़ी देर सोफे पर आराम करने के बाद जब वो वापस रसोई में इस इरादे से पहुंची कि चलो सबको खाना परस दूँ, तो देखा अवधेश सबकी थाली सजा कर खड़े हैं. संगीता तो जैसे पति पर निहाल हो गई. इस कोरोना ने भले दुनिया भर में हड़कंप मचा रखा है और लोगों को उनके घरों में कैद कर दिया है लेकिन एक अच्छा काम ये किया कि रिश्तों को करीब से देखने-समझने और निभाने का बड़ा मौक़ा दे दिया है.
कोरोना से पहले तक संगीता को याद नहीं कि अवधेश ने कभी उसको पानी का गिलास दिया हो. रसोई में तो वो भूल कर भी नहीं घुसते थे, लेकिन बीते आठ माह में संगीता को बिलकुल नए अवधेश के दर्शन हो रहे थे, जो उसके हर काम में हाथ बंटाता दिख रहा है. कभी सिंक में गंदे बर्तन पड़े हों तो चुपके से धो देता है, बाथरूम में गंदे कपड़े पड़े हों तो वाशिंग मशीन में डाल कर ऑन कर देता है. संगीता और घर के अन्य सदस्यों के लिए मसाले वाली बढ़िया चाय बना देता है. इससे पहले तो संगीता को ये भी पता नहीं था कि अवधेश इतनी अच्छी चाय बनाना जानते हैं. एक दिन सुबह उसकी आँख खुली तो देखा अवधेश ने चाय के साथ गरमागरम प्याज के पकोड़े बनाये हैं. ये देख कर तो वह ख़ुशी से उछल पड़ी. उस दिन का नाश्ता तो गरमागरम पकोड़ों और हरी धनिया की चटनी के साथ हुआ. संगीता कहती हैं कि कोरोना काल में उन्हें पता चला कि प्यार सिर्फ बोलकर ही नहीं, कई तरीकों से अभिव्यक्त होता है. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में घर के भीतर इस अनबोले प्यार को आज बहुत सी महिलायें महसूस कर रही हैं.