"क्या बात है, आजकल बहुत मेकअप कर के ऑफिस जाने लगी हो. पहले तो कुछ भी पहन कर चल देती थी. पर अब तो रोज लेटेस्ट फैशन के कपड़े खरीदे जा रहे हैं," व्यंग से सुधीर ने कहा तो आकांक्षा ने एक नजर उस पर डाली और फिर से अपने मेकअप में लग गई.
सुधीर आकांक्षा के इस रिएक्शन से चढ़ गया और एकदम उस के पास जा कर बोला," आकांक्षा में जानना चाहता हूं कि तुम्हारी जिंदगी में चल क्या रहा है?"
आकांक्षा ने भंवे चढ़ाते हुए उस की तरफ देखा और फिर अपने बॉब कट बालों को झटकती हुई बोली," चलना क्या है, मल्टीनेशनल कंपनी में ऊंचे ओहदे पर काम कर रही हूं, लोग मेरी इज्जत कर रहे हैं, मेरे काम की सराहना हो रही है और क्या?"
"सराहना हो रही है या पीठ पीछे तुम्हारा मजाक बन रहा है आकांक्षा?"
"खबरदार जो ऐसी बात की सुधीर. तुम्हें क्या पता सफलता का नशा क्या होता है. तुम ने तो बस जिस कुर्सी पर काम संभाला था आज तक वहीँ चिपके बैठे हो."
"क्योंकि मुझे तुम्हारी तरह गलत तरीके से प्रमोशन लेना नहीं आता. पति के होते हुए भी प्रमोशन के लिए इमीडिएट बॉस की बाहों में समाना नहीं आता."
सुधीर का इल्जाम सुन कर आकांक्षा ने अपने हाथ में पकड़ा हुआ मिरर जमीन पर फेंक दिया और चीख पड़ी," मेरे कैरेक्टर की समीक्षा करने से पहले अपने अंदर झांको सुधीर. तुम्हारे जैसा फेलियोर इंसान मेरे लायक है ही नहीं. न तो तुम मुझे वह प्यार और खुशियां दे सके जो मैं चाहती थी और न खुद को ही किसी काबिल बना सके. तुम्हारे बहाने हमारी खुशियों के आड़े आते रहे. अब यदि मुझे किसी से प्यार हुआ है तो मैं क्या कर सकती हूं."