परम उस समय ड्यूटी पर था जब उसे पता चला कि वह बाप बनने वाला है. पत्नी तनु से फोन पर बात करते हुए परम का गला खुशी से भर्रा गया. उसे अफसोस हो रहा था कि वह इस समय तनु के साथ नहीं है. उस ने फोन पर ही ढेर सारी नसीहतें दे डाली कि यह नहीं करना, वह नहीं करना, ऐसे मत चलना, बाथरूम में संभल कर जाना. कश्मीर के अतिसंवेदनशील इलाके में तैनात पैरा कमांडो मेजर परम जो हर समय कदमकदम पर बड़ी बहादुरी और जीवट से मौत का सामना करता है, आज अपने घर एक नई जिंदगी के आने की खुशी में भावुक हो उठा. न जाने कब आंखों में नमी उतर आई. आम लोगों की तरह वह इस समय अपनी पत्नी के पास तो नहीं हो सकता, लेकिन है तो आखिर एक इंसान ही. लेकिन क्या करे किसी बड़े उद्देश्य की खातिर, अपने देश की खातिर अपनी खुशियों की कुरबानियां तो देनी ही पड़ती हैं.

शाम को मेस में जा कर परम ने खुद सब के लिए सेंवइयों की खीर बनाई और सब को खिलाई. उस रात परम की आंखों से नींद कोसों दूर थी. सब कुछ सपने जैसा लग रहा था. परम बारबार तनु को फोन कर उस से पूछता, ‘‘तनु यह सच है न?’’

तनु को हंसी आ जाती, उस के और तनु के प्यार का अंश. उन का अपना बच्चा. तनु आज और भी ज्यादा अपनी, और भी ज्यादा प्यारी तथा दिल के और करीब लग रही थी. परम ने सुबह 6 बजे से ही तनु को फोन करना शुरू कर दिया, ‘‘क्या कर रहा है मेरा बच्चा? भूख तो नहीं लगी? जल्दी से ब्रेकफास्ट कर लो, दवा ली?’’

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