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पूर्व कथा:

पढ़ाई के दौरान शुमी की मुलाकात वसंत से हुई और फिर दोनों में प्यार हो गया. शुमी वसंत से शादी करना चाहती थी, मगर वह टालमटोल कर रहा था. आखिरकार वसंत के घर वालों की रजामंदी के बगैर दोनों ने शादी कर ली. शुमी एक बच्ची की मां बन चुकी थी. अब वसंत ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया. जब शुमी को पता चला कि वसंत पहले से शादीशुदा है, तो वह उस से अलग हो गई.

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कितनी मुश्किल के साथ वसंत से उस की शादी हुई थी. जमीनआसमान एक करना शायद इसी को कहते हैं, जो उस ने किया था... बड़ी साधारण सी शादी हुई थी. शादी में वसंत की तरफ से 2-3 लोग ही शामिल हुए थे. सब को बड़ा अटपटा सा लग रहा था. हेमा दी और रमन जीजा के चेहरे बड़े बुझेबुझे से थे. मगर वह खुश थी कि जिसे चाहा वह मिल गया. रमन जीजाजी ने उसी शहर में उस के नाम पर एक मकान खरीद दिया था और फिर हेमा दी ने घरगृहस्थी का सारा सामान खरीद कर घर सजा दिया था. इस के अलावा काफी पैसा भी उस के अकाउंट में डाल दिया था. मगर वसंत नाराज था. उस ने दी और जीजाजी को तो कुछ नहीं कहा, मगर उस के आगे अपनी सारी भड़ास निकाल दी.

वसंत के कहे मुताबिक उस की दी और जीजा को उस पर यकीन नहीं था. तभी सारा पैसा मकान और सामान पर लगा दिया. वह शादी के दूसरे दिन वसंत के ये तेवर देख कर दंग थी. हेमा दी ने अपनी तरफ से उन का हनीमून प्लान किया. ऊटी के एक होटल में उन की बुकिंग करवा दी. मगर वसंत गुस्से में नहीं गया.

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