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‘‘अरे, इस बैड नंबर8 का मरीज कहां गया? मैं तो इस लड़के से तंग आ गई हूं. जब भी मैं ड्यूटी पर आती हूं, कभी बैड पर नहीं मिलता,’’ नर्स जूली काफी गुस्से में बोलीं.

‘आंटी, मैं अभी ढूंढ़ कर लाती हूं,’’ एक प्यारी सी आवाज ने नर्स जूली का सारा गुस्सा ठंडा कर दिया. जब उन्होंने पीछे की तरफ मुड़ कर देखा, तो बैड नंबर 10 के मरीज की बेटी शबीना खड़ी थी.

शबीना ने बाहर आ कर देखा, फिर पूरा अस्पताल छान मारा, पर उसे वह कहीं दिखाई नहीं दिया और थकहार कर वापस जा ही रही थी कि उस की नजर बगल की कैंटीन पर गई, तो देखा कि वे जनाब तो वहां आराम फरमा रहे थे और गरमागरम समोसे खा रहे थे.

शबीना उस के पास गई और धीरे से बोली, ‘‘आप को नर्स बुला रही हैं.’’

उस ने पीछे घूम कर देखा. सफेद कुरतासलवार, नीला दुपट्टा लिए सांवली, मगर तीखे नैननक्श वाली लड़की खड़ी हुई थी. उस ने अपने बालों की लंबी चोटी बनाई हुई थी. माथे पर बिंदी, आंखों में भरापूरा काजल, हाथों में रंगबिरंगी चूडि़यों की खनखन.

वह बड़े ही शायराना अंदाज में बोला, ‘‘अरे छोडि़ए ये नर्सवर्स की बातें. आप को देख कर तो मेरे जेहन में बस यही खयाल आया है... माशाअल्लाह...’’

‘‘आप भी न...’’ कहते हुए शबीना वहां से शरमा कर भाग आई और सीधे बाथरूम में जा कर आईने के सामने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया. फिर हाथों को मलते हुए अपने चेहरे को साफ किया और बालों को करीने से संवारते हुए बाहर आ गई.

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