गाय का दूध एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह उनके लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है. गाय का दूध देने से उनके श्वसन और पाचन तंत्र में रोगों के होने का जोखिम बढ़ जाता है. यह शिशु की अपरिपक्व किडनी पर तनाव भी डाल सकता है.
शिशुओं के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पोषण के वैकल्पिक रूप की आवश्यकता होती है और एक साल से कम उम्र के बच्चे दूध में मौजूद प्रोटीन को पचा नहीं पाते. बाल विशेषज्ञों का कहना है कि अगर गाय का दूध इस प्रारंभिक अवधि में दिया जाता है तो शिशु को लौह तत्व की निम्न सांद्रता से एनीमिया का खतरा हो सकता है. इससे उनमें एलर्जी के साथ ही अन्य रोगों के होने का खतरा 65% तक बढ़ जाता है.
एक साल से ऊपर के शिशुओं को घर का अनुपूरक भोजन खिलाया जा सकता है जबकि एक साल से कम उम्र के बच्चों को विशेष हाइड्रोलाइज्ड और एमिनो एसिड-आधारित भोजन की जरूरत होती है जिससे उन्हे एलर्जी या उससे सम्बन्धित अन्य समस्या न हो.
रैपिड सर्वे आन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) में पता चला कि एक साल से कम उम्र के स्तनपान से वंचित 42 फीसदी शिशुओं को गाय का दूध दिया जाता है.
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) में पता चला कि केवल 40 प्रतिशत बच्चों को समय पर अनुपूरक भोजन मिल पाता है जबकि केवल 10 प्रतिशत बच्चे ही छह से 23 महीने के बीच पर्याप्त आहार प्राप्त कर पाते हैं. भारत में अधिकतर शिशुओं को गाय का दूध दिया जाता है, क्योंकि ग्रामीण इलाकों विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में जागरुकता कम होती है.