समस्या छोटी हो या बड़ी, अगर सुलझाने बैठें तो पता चलता है कि इस का हल तो हमारे पास पहले ही था. उस वक्त लगता है कि काश, किसी ने पहले समझा दिया होता.  सब को बता कर ऊर्जा बरबाद न करें :  हर किसी दोस्त, रिश्तेदार से सलाह मांगना या शान जताने के लिए अपने लक्ष्य बताना नुकसानदायक हो सकता है.  लक्ष्य पूरा हो गया तो यह आप की आदत हो जाएगी. पर जरा सोचिए, जब सबकुछ होना ही है तो, जब हो जाएगा, स्वयं ही पता चल जाएगा.

मूर्खता की हद तो अंशु के साथ हो गई. उस ने अपने इंटरव्यू की बात सब को बताई. परंतु जब कैंपस सैलेक्शन नहीं हुआ तो उसे लगा कि किसी की नजर लग गई.  अब नौकरी के लिए कई जगह ट्राई करना ही पड़ता है. पंडितजी के चक्कर में पड़ गई. कभी सोमवार के व्रत रखती तो कभी किसी ग्रह के अनुसार अंगूठी पहनती.

समस्या साझा करने की बीमारी : 

रिनी को समस्या होती नहीं कि सारे  जानने वालों को पता चल जाता है कि क्या हुआ है. पहले काफी गंभीर हो कर सलाह देते थे दोस्त. पर अब सब उस से कन्नी काटने लगे हैं. आप अपनी समस्या खास लोगों से ही साझा करें. रोने वालों का कोई साथ नहीं देता, यह एक सचाई है.

बातों का मतलब खोजने का फलसफा :

क्या आप भी उन महान लोगों में से हैं जो सीधी बात को भी बेहद गहरे अर्थ में ले लेते हैं? बात को पकड़ कर न बैठें. यह भी समझें कि कभीकभी लोग सही अर्थ में नहीं कहते. झूठ बोलना या थोड़ीबहुत फेंकना लोगों की आदत होती है. इसलिए किसी बात को बेहद तूल देना या अत्यधिक बहस करना बेकार ही है.

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