पहले के समय में 50 वर्ष के बाद वानप्रस्थ का नियम घर में सही तालमेल व पारिवारिक शांति के दृष्टिकोण से बनाया गया होगा. बेटे का गृहस्थाश्रम में प्रवेश और बहू के आगमन के साथ ही परिवार की सत्ता का हस्तांतरण स्वाभाविक समझ कर वानप्रस्थ की कल्पना की गई होगी.
लेकिन, आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं. आधुनिक मैडिकल साइंस ने विभिन्न बीमारियों से नजात दिला कर उत्तम स्वास्थ्य का विकल्प दिया है. उस ने मनुष्य को स्वस्थ जीवन दे कर उस की आयु बढ़ा दी है. आज पुरुष हो या स्त्री, स्वस्थ जीवनशैली अपना कर 80-85 वर्ष की आयु में भी वे खुशहाल जीवन जी रहे हैं.
समाज में आजकल एकल परिवारों का चलन बढ़ गया है. मांबाप बच्चे को अच्छी शिक्षा के लिए बचपन से ही होस्टल या अपने से दूर दूसरे शहर में भेज देते हैं. उच्च शिक्षा के लिए तो उसे घर से दूर जाना ही होता है, यहां तक कि महानगरों में रहने पर भी बच्चों को होस्टल में रखा जाता है. नौकरी करने के लिए तो उन्हें अपने घरों से दूर जाना ही होता है.
नतीजतन, मांबाप लंबे समय तक स्वतंत्र रूप से अपना जीवन जीते हैं. घर से दूर रह कर बच्चों का भी स्वतंत्र रूप से जीने का स्टाइल और अपना अलग तौरतरीका बन जाता है.
ऐसी स्थिति में दोनों के लिए एकदूसरे की जीवनशैली के साथ सामंजस्य बिठाना कठिन होता है. इसलिए न तो मांबाप और न ही बच्चे अपनेअपने जीवन में हस्तक्षेप पसंद करते हैं. यही कारण है कि जब पतिपत्नी में से कोई एक अकेला बचता है तो अब वह क्या करे या कहां जाए जैसी समस्या उठ खड़ी होती है.