परिवार वालों द्वारा अपनी बेटी की जबरन शादी कराना आज भी नहीं रूक रहा है और प्रेमी के साथ भाग जाने पर औनर कीङ्क्षलग में प्रेमी और लडक़ी दोनों को मार तक डाला जा रहा है. उस में अब नया एंगल आने लगा है जब बेटी का प्रेम किसी लडक़े से न हो कर लडक़ी से हो. यह न केवल जाति और धर्म की चूलें हिला डालता है, परिवार के सारे अरमानों का खून करते हुए उन्हें सामाजिक उपहास के केंद्र बना डालता है.
अलीगढ़ की एक लडक़ी दिल्ली में अपनी प्रेमी के साथ रह रही थी पर उस का परिवार एक लडक़े से उस का जबरन विवाह करना चाह रहा था. वे उसे अलीगढ़ ले गए. प्रेमिका उसे घर से ले जाने के लिए पहुंची तो घरवालों ने उस की जम कर ठुकाई कर दी.
समलैंगिक प्रेम. अब धीरेधीरे खुल कर बाहर आने लगते हैं. लोग इसे स्वीकारने में घबराते नहीं हैं. बड़े शहरों में यह खुल कर संभव है क्योंकि 2 लडक़ों या 2 लड़कियों को आसानी से बिना ज्यादा सवालजवाब किए मकान किराए पर मिल जाते है क्योंकि हजारों लड़कियां रूम मेटों के साथ रूम शेयर कर रही हैं. उन में सैक्स संबंध भी हैं, यह कम को पता चलता है और बात आई गई हो जाती है. परिवार जब एक लडक़ी पर विवाह के लिए दबाव डालता है तो मुसीबत आती है. इस में वही दर्द और विरह की भावना पैदा होती है जो आमतौर पर प्रेमी प्रेमिका के अलगाव पर होती है.
समलैंगिक प्रेम आज के युग में असल में जम कर प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. इस में कम कठिनाइयां हैं. इसे शादी का सॢटफिकेट मिले या न मिले, साथ रहना और परमानैंटली रहना लडक़ी लडक़े के साथ रहने से कम जोखिम वाले हैं. न बच्चे होने का डर है न तलाक की दुविधा है. आमतौर पर डोमैस्टिक वायलैंस की परेशानी भी नहीं है. जो चाहत किसी साथी की होती है जिस के साथ सोफो, किचन और बैड सब शेयर किए जा सकें, पूरे होते हैं. अब गनीमत है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसे गैरकानूनी से कानूनी भी बना दिया ह ैऔर पुलिस दखलअंदाजी भी नहीं है.