कम उम्र में ही जिम्मेदारियों तले दबी वह सिर्फ परिवार के लिए अपना कर्तव्य पूरा करती गई और शादी तक नहीं की. मगर ऐसा क्या हुआ उस के साथ कि एक समय वह खुद को ठगा हुआ महसूस करने ल एकसमय था जब हर समय सितार के तारों की ?ांकार कानों में गूंजती रहती थी. बयार रोमरोम को सिहराती, सहलाती, अठखेलियां करती गुजरती थी.
खुले आकाश में पंक्तिबद्ध उड़ते पक्षियों को देख कर मेरा मन भी स्वच्छंद पंख फैलाए दूर आकाश में उड़ने को ललचाता था. हर सुबह एक सुखद नवजीवन का संदेश ले कर आती थी और हर रात सुनहरे सपनों के साथ नींद से बो?िल पलकों पर दस्तक देती थी.
दूर आकाश में दूधिया चांद बादलों की ओट से ?ांकता, मुसकराता और आने वाले जीवन के लिए शुभ आशीष देता प्रतीत होता था. जिंदगी की पुस्तक के पन्ने बड़ी तेजी से फड़फड़ाते हुए बदलते गए और एक किशोरी अपनी बड़ीबड़ी आंखों में तैरते हुए सपनों के साथ युवावस्था में प्रवेश कर के जिंदगी की सचाइयों को कुछकुछ सम?ाने लगी थी. युग का वह एक ऐसा दौर था जब मातापिता एक युवा लड़की के भविष्य के धागों को बुन कर उसे एक ऐसा आवरण प्रदान करना चाहते हैं, जहां वह हर प्रकार के दुख की निशा के अंधकार से दूर रहे.
अब शुरू हुआ तरुणाई और इच्छाओं के सुंदर मेल के साथ जिंदगी का वह सफर जहां से आगे बढ़ने के बाद अपने शैशव और किशोर जीवन में जाना असंभव है. यह है कुदरत का नियम, नियति का कानून, जहां न चाहते हुए भी आगे बढ़ते जाना एक विडंबना ही है. मैं ने पीछे मुड़ कर देखने की कोशिश की तो 2 सुंदर मगर आंसुओं से भीगी आंखें मु?ा से कुछ कहने की कोशिश कर रही थीं. हां, शायद यही कि हम तुम्हारे शैशवकाल की आंखें हैं, जहां आंखों में जरा से आंसू आते ही मां का कोमल, प्यार से महकता आंचल हौले से उन आंसुओं की नमी को सुखा देता था.