खातेखाते शायद तुम्हारा सवालों के जवाब देने का मूड बन जाए.’’
‘‘वह तो मैं वैसे भी दे दूंगी पर खाली स्नैक्स से मूड कैसे बनेगा? कुछ पीने के लिए मंगा लो.’’
‘‘मजाक कर रही हो? तुम कब से
पीने लगी?’’
‘‘जब से मेरी शादी हुई.’’
‘‘चलो ड्रिंक का और्डर दे देता हूं.’’
‘‘नहीं आज अजनबी शहर में हूं... बाररूम में चल कर पीएंगे.’’
अनुज तुरंत सहमत हो गया. एक सुंदर महिला मित्र के साथ पीने का उस का यह पहला मौका था. वह एक नाजुक रंगीन एहसास से जुड़ गया. उसे लगा कि वह बिना पंख उड़ गया.
बाररूम में दोनों कोने की सीट पर जा कर बैठ गए.
‘‘तुम्हें कैसे लगा कि मैं पी सकता हूं? तुम ने तो मुझे पीते देखा ही नहीं है?’’
‘‘मैं मर्दों की फितरत अच्छी तरह जानती हूं. न पीने वाला भी एक महिला के आमंत्रण को अस्वीकार नहीं कर सकता. फिर मैं तो तुम्हें बहुत करीब से जानती हूं.’’
‘‘तुम ऐसा कैसे कह सकती हो?’’
‘‘मैं तुम्हारे शब्दों में कहूं तो मैं ने तुम्हारे साथ एक ईमानदार मित्रता निभाई है.’’
‘‘तुम अपनी बातों में कितने भी विशेषण उपयोग करो मैं ने तो हर दम तुम्हारी लिजलिजी नैतिकता में वासना की गंध महसूस की है. खैर, छोड़ो यह वक्त ऐंजौय करने का है. अब हम तर्कवितर्क में नहीं उलझेंगे.’’
अनुज खुद को शर्मसार महसूस कर रहा था. उसे लग रहा था कि जिस महिला के सामने वह नैतिकता का लिबास पहने रहा वह महिला हमेशा उस के अंदर झांक कर उसे निर्वस्त्र देखती रही है. उसे यह राहत थी कि नित्या ने हर असहमति को त्याग कर इस वक्त का आनंद लेने का निमंत्रण दिया था.