उस ने एक सादे पन्ने पर मानव के खिलाफ यौन दुराचार की शिकायत लिख कर अजय को थमा दी. शिकायत में पूरी घटना का विवरण लिखा था. अजय ने पढ़ा लिखा था, ‘‘मैं और मानव अच्छे दोस्त हैं. हम कई बार आउटिंग पर जाते हैं. मानव के साथ मैं बहुत सहज महसूस करती हूं और सुरक्षित भी. आज शाम क्लास के बाद मैं ने मानव के साथ रामनिवास बाग घूमने का कार्यक्रम बनाया. मानव मेरे कमरे में आया तब मैं बाल बना रही थी.अचानक न जाने इसे क्या हुआ और यह मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा. मैं ने इसे रोकने की बहुत कोशिश की.
हमारी हाथापाई भी हुई लेकिन इस पर तो जैसे भूत सवार था. तभी अजय सर वहां आ गए. इन्होंने दरवाजा खटखटाया तो मानव घबरा गया और इस ने मु झे छोड़ दिया. आज तो मैं बच गई लेकिन मु झे डर है कि मानव भविष्य में मु झे परेशान कर सकता है. हो सकता है कि अपनी बेइज्जती का बदला ही लेने की कोशिश करे. मु झे सुरक्षा दिलवाने की व्यवस्था करवाई जाए.’’ अजय ने नैना की शिकायत विभाग की विशाखा कमेटी को मेल कर दी.
4 दिन बाद विशाखा कमेटी की बैठक हुई. नैना, मानव और अजय. तीनों को इस बैठक में बुलाया गया. नैना ने जो बात शिकायती पत्र में लिखी थी वही कमेटी के सामने दोहरा दी. अजय ने चश्मदीद गवाह का काम किया. अब तो शक की कोई गुंजाइश ही कहां बची थी.मानव ने लाख सफाई दी. कहा भी कि नैना और उस के बीच रिश्ता दोस्ती से कहीं बढ़ कर है. जो कुछ हो रहा था, वह दोनों की सहमति से ही हो रहा था लेकिन अचानक अजय सर के आने से नैना ने यू टर्न ले लिया और चिल्लाने लगी. मगर उस की दलील किसी ने नहीं सुनी.