‘‘बहुत जल्दी भूल गए सपना को,’’ नैनाने कहा तो मानव को याद आया. सपना केसाथ उस के रिश्ते की बात चल रही थी. बात लगभग तय ही थी, लेकिन सगाई होने से 3 दिन पहले ही उस की प्रतियोगी परीक्षा का परिणाम आया और उस का चयन लेखाधिकारी के पदपर हो गया.
उस की नौकरी की खबर सुनते ही उस के पिता सपना के साथ रिश्ते को ले कर आनाकानी करने लगे और अंतत: वह रिश्ताटूट गया.‘‘तुम से रिश्ता टूटने के बाद सपना की सगाई कहीं नहीं हो रही थी. ऐसे में वह गहरे अवसाद में चली गई. उस ने कभी शादी न करने का फैसला तक ले लिया. उसे सामान्य करने में हमें क्या कुछ नहीं करना पड़ा. तभी मैं ने निश्चय किया था कि जिस सरकारी नौकरी का तुम दंभ पाले बैठे हो, उस से तो मैं एक दिन तुम्हें निकलवा कर रहूंगी,
नैना ने कहा तो मानव वर्तमान में आया.मगर अब तक सुहानी उस बातचीत को अपने मोबाइल में रिकौर्ड कर चुकी थी. हालांकि वह जानती थी कि यह कोई ठोस सुबूत नहीं है, लेकिन ‘न मामा से तो काना मामा ही भला’ क्या पता यही रिकौर्डिंग मानव के पक्ष को मजबूत बना दे. सुहानी ने मानव की तरफ से सचिव के नाम एक अपील लिखी.‘‘नैना ने जो आरोप मु झ पर लगाए हैं उन्हें साबित करने के लिए इन्होंने कोई भी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया. नैना यह साबित नहीं कर पाई कि मेरा कोई भी कृत्य आईपीसी की किसी भी धारा के अंतर्गत आपराधिक श्रेणी में आता है.
पूरे प्रकरण में चश्मदीद गवाह कोई भी नहीं है.‘‘केवल संदेह के आधार पर मु झे दोषी करार दिया जाना कौन से कानून में लिखा है?बंद कमरे में 2 वयस्कों के बीच जो कुछ भीहोता है वह सहमति से हुआ है या जबरदस्ती से, इसे साबित करने के लिए किसी के पास कोई सुबूत नहीं होता. ऐसे मामलों में कोई चश्मदीद गवाह भी नहीं होता तो फिर आप मु झे किस आधार पर दोषी मान सकते हैं, माना कि मैंअपने पक्ष में सुबूत नहीं जुटा पाया तो क्या नैना ने मेरे गुनाह का कोई सुबूत पेश किया? नहीं न. सिर्फ अजय सर की गवाही को आधार बना कर मु झे दोषी साबित नहीं किया जा सकता.