होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.
इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,
- होम मेड रंगों का प्रयोग करें, जिसमें मेहंदी, हल्दी पाउडर, सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पाउडर बना लें और गुलाल के रूप में प्रयोग करें,
- रंग खेलने से पहले शरीर के खुले भाग पर क्रीम या सरसों का तेल लगा लें और इसे 20 से 30 मिनट तक वैसे ही रहने दें, इसके बाद वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा लें,
- नाखूनों, पांव, कुहनी और कानों के पीछे वाले भाग में वेसलीन लगा लें, जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें सेंसेटिव जगहों पर रंग लगने से बचना चाहिए,
- केवल शरीर पर ही नहीं बालों पर भी तेल लगा लें, ताकि केश रूखे होने से बचें और रंग आसानी से उतर जाए, अगर आयल लगाना नहीं चाहती, तो हेयर जेल का सहारा लिया जा सकता है,
- अगर रंग से किसी भी प्रकार की एलर्जी या रेसेज होने की शिकायत है, तो एंटीएलर्जिक की गोली होली के पहले दिन रात में ले लें,
- होली के दिन कपड़े ऐसे पहने, जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढक जाय, अगर चाहे तो ड्रेस के नीचे स्विम सूट भी पहन सकती हैं, ताकि त्वचा को रंग न छू सकें,
- अधिक सुरक्षा के लिए रंग खेलते समय धूप के चश्में और कैप पहन सकती हैं, लेकिन कांटेक्ट लेंस न पहनें.
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