‘‘10 साल पहले जो यूएस एक प्रोजैक्ट के सिलसिले में गया तो अब वापस आया हूं. घर में पहले भी मेरा ही राज रहता था और अभी भी मेरा ही है. फिलहाल 4 साल के लंबे प्रोजैक्ट पर इंडिया में ही हूं. 4 साल बाद देखा जाएगा कहां क्या करना है,’’ उत्तर देते हुए अमजद ने बड़ी सफाई से अपने परिवार के सदस्यों की बात को गोल कर दिया.
तभी बैरा आ कर कौफी रख गया. कौफी पीतेपीते दोनों कालेज के दिनों की मीठी
यादों में मानो खो से गए. उस समय की बातों
को याद कर के कितनी ही देर तक दोनों हंसते रहे. बातें करतेकरते कब 11 बज गए पता ही
नहीं चला.
जैसे ही प्रणति ने घड़ी देखी तो चौंक गई, ‘‘ओह इतना टाइम हो गया. अब मैं चलती हूं.’’
‘‘अभी भी तुम समय देख कर घबरा जाती हो. क्या आज भी पहले की तरह तुम्हें अधिक समय हो जाने पर घर में डांट पड़ती है?’’
‘‘अरे पगले घर में बैठा कौन है जो मुझे डांटेगा,’’ प्रणति हंसते हुए बोली.
‘‘यदि तुम चाहो तो हम आगे भी मिल सकते हैं,’’ अमजद ने कुछ हिचकते हुए कहा.
‘‘कल संडे है तो थोड़ा बिजी रहूंगी घर के कामों में, परसों मिलते हैं.’’
‘‘ठीक है मंडे इसी समय इसी जगह,’’ कह कर वह कार स्टार्ट कर के घर आ गई. घर आ कर भी उस के कानों में अमजद की बातें ही गूंजती रहीं. पहली बार उसे इतनी गहरी नींद आई कि रात की सोई आंख दूध वाले के द्वारा बजाई घंटी से सुबह 8 बजे ही खुली. दूध फ्रिज में रख कर वह खिड़की के परदे हटा हाथ में चाय का कप ले कर खिड़की से सटे सोफे पर आ बैठी. परदे से छन कर आ रही धूप ने चाय का मजा दोगुना कर दिया था. चाय पीतेपीते उसे अमजद से अपनी पहली मुलाकात याद आ गई...