रात को अमजद और प्रणति पुन: होटल में थे. कौफी पीतेपीते अमजद गंभीर और सीधे सपाट स्वर में बोला, ‘‘प्रणति मैं आज भी तुम्हारा वही अमजद हूं 10 साल पहले वाला... पर क्या तुम भी... आज वही महसूस करती हो जो मैं करता हूं... मैं आज भी तुम्हारे साथ ही जिंदगी बिताना चाहता हूं.’’
‘‘तो क्या तुम ने अभी तक शादी नहीं की और मेरे बारे में तुम्हें क्या पता है? उस समय मैं ने तुम्हें कितने फोन लगाए पर सदैव स्विच्ड औफ ही आता रहा. ऐसा क्यों किया तुम ने अमजद. मुझे समझ नहीं आया... और आज फिर इस तरह का प्रस्ताव मेरी समझ से बाहर है,’’ प्रणति ने कुछ क्रोध और अचरज से अमजद की ओर देखते हुए कहा.
‘‘तो क्या तुम अभी तक समझती हो कि मैं तुम्हें अकेला छोड़ कर चला गया था?’’
‘‘तो और क्या समझ जा सकता है,’’ प्रणति ने आवेश से कहा.
‘‘देखो प्रणति तुम्हारे पापा उच्च अभिजात्यवर्गीय भावना से ओतप्रोत हैं और मेरा परिवार निम्न मध्यवर्गीय है सो दोनों के अंतर को तुम बहुत अच्छी तरह समझ सकती हो. 10 साल पहले तुम्हारी मयंक से शादी की बात अंकल ने स्वयं मुझ से मिल कर बताई थी और अपनी क्षत्रियता को जताते हुए तुम्हारे पास फटकने पर मुझे जान से मारने और मेरे परिवार को बरबाद करने तक की ताकीद की थी तो मेरे पास चुप रहने के अलावा और कोई चारा नहीं था पर तुम मेरा प्यार थी. तुम्हें याद होगा हम आखिरी बार उसी दिन मिले थे जब मैं ने तुम्हें प्रपोज किया था. उस के बाद हमारी जितनी बातें हुईं फोन पर ही. बाद के दिनों में जब तुम ने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया था तो मैं समझ गया था कि अपने पापा के आगे तुम मजबूर हो और मैं ने उसी समय यूएस का प्रोजैक्ट ले लिया था.